Wednesday, May 8, 2013

हल्के में न लें सिरदर्द को


आए दिन लोग सिरदर्द की समस्या से ग्रस्त होते हैं। सिरदर्द की ये शिकायतें कुछ साधारण होती हैं तो कुछ असाधारण बीमारी का सकेत देती हैं। इसलिए महत्वपूर्ण बात यह है कि साधारण सिरदर्द को बीमारी में तब्दील होने से पहले ही उसका इलाज करा लिया जाए ताकि हम सेहत पर होने वाले किसी भी हमले से बचे रहें। खास बात तो यह है कि यह साधारण सिरदर्द ब्रेन ट्यूमर जैसी खतरनाक बीमारी भी हो सकती है। गौरतलब है कि ब्रेन ट्यूमर का उपचार आज रेडियो सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी के अलावा कंप्यूटर आधारित स्टीरियोटैक्सी व रोबोटिक सर्जरी जैसी नवीनतम तकनीकों की बदौलत अत्यत कारगर, सुरक्षित और काफी हद तक कष्टरहित हो गया है। ब्रेन ट्यूमर की पहचान जितनी पहले हो जाए, इसका इलाज उतना ही आसान हो जाता है।
 ब्रेन सर्जरी में आजकल सबसे ज्यादा इंडोस्कोपिक सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है।
 लक्षण 
 ब्रेन ट्यूमर के लक्षण सीधे उस भाग से सबधित होते हैं, जहा दिमाग के अंदर ट्यूमर होता है। उदाहरण के तौर पर मस्तिष्क के पीछे ट्यूमर के स्थित होने के कारण दृष्टि सबधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। मस्तिष्क के बाहरी भाग में होने वाले ट्यूमर के कारण बोलते समय रुकावट आने जैसी समस्या पैदा हो सकती है। ट्यूमर का आकार बढऩे के परिणास्वरूप मस्तिष्क पर बहुत दबाव पड़ता है। इस कारण सिरदर्द, उल्टी आना, जी मिचलाना, दृष्टि सबधी समस्याएं या चलने में समस्या आदि लक्षण प्रकट हो सकते हैं।
 ट्यूमर के प्रकार 
 सामान्यत: मस्तिष्क के किसी भी भाग में वृद्घि होना बहुत खतरनाक माना जाता है। यह बात ब्रेन ट्यूमर के मामले में भी लागू होती है। ब्रेन ट्यूमर कई प्रकार के होते हैं। हालाकि इसे कैंसर के आधार पर मुख्य रूप से दो वर्र्गो कैंसरजन्य और कैंसररहित ट्यूमर में विभाजित किया जा सकता है। आम तौर पर बीस से चालीस साल के लोगों को ज्यादातर कैंसर रहित और 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को ज्यादातर कैंसर वाले ट्यूमर होने की सभावना कहीं ज्यादा रहती है। कैंसर रहित ट्यूमर, कैंसर वाले ट्यूमर की तुलना में धीमी गति से बढ़ता है.
 कोलॉयड सिस्ट मस्तिष्क के सवेदनशील क्षेत्र में स्थित होते हैं और जैसे-जैसे उनके आकार में वृद्धि होती जाती है, वे जीवन के लिए खतरा बनते चले जाते हैं। परंपरागत सर्जरी के लिए क्रैनियोटॅमी यानी खोपड़ी के एक हिस्से को हटाए जाने और कोलॉयड सिस्ट को हटाने के लिए मस्तिष्क के प्रत्याकर्षण की प्रक्रिया अपनायी जाती है। इसके अंतर्गत खोपड़ी में एक महीन सा छिद्र (6 एमएम) किया जाता है ताकि इंडोस्कोप और उसके साथ काम करने वाले अधिकतम 6 एमएम की परिधि के आवरण को अंदर डाला जा सके। कोलॉयड सिस्ट को सपूर्ण रूप से हटाने के लिए बहुत छोटे (3-6 एमएम) के इंडोस्कोपिक उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है।
 सर्जरी की प्रक्रिया 
 इंडोस्कोपिक सर्जरी के माध्यम से मस्तिष्क के रिट्रैक्शन से बचा जा सकता है। इंडोस्कोप को प्रविष्ट कराए जाने के लिए परंपरागत सर्जरी की तुलना में छोटा छेद करना होता है और इससे अपेक्षाकृत मस्तिष्क में कम रिट्रैक्शन होता है। इस प्रक्रिया में ऊतकों(टिश्यूज) को देखना आसान होता है। इस कारण सर्जरी अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित रूप से की जा सकती है। सर्जरी के प्रभाव से मुक्त होने में कम समय लगता है और अस्पताल में भी कम समय तक ठहरना होता है। इंडोस्कोपी सर्जरी में सफलता की दर बहुत ऊंची है। यही कारण है कि दुनिया भर में मस्तिष्क की सर्जरी के लिए इस सुरक्षित तकनीक को अपनाया जा रहा है।





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